पशुपालन ऐसा कारोबार है जिसकी लागत निर्धारित नहीं है. ऐसा इसलिए कहा जाता है कि जब तक गाय-भैंस बच्चा नहीं देती है तो पशुपालक उसे केवल पेट भरने के लिए ही खिलाता है. इस दौरान पशूओं से उत्पादन नहीं मिलता है. मतलब बच्चा देने के बाद ही गाय-भैंस दूध देना प्रारम्भ करती है तो लागत के साथ काफी अच्छा मुनाफा मिलना भी शुरू हो जाता है. हालाँकि पशुपालन के दौरान बिभिंन बार ऐसे मौके भी आते हैं जब गाय-भैंस निर्धारित समय पर गर्भवती नहीं होती है. क्योंकि पशुपालकों को कुछ वजहों के चलते यही पता ही नहीं चल पाता है कि गाय-भैंस हीट में कब आ रही हैं और कब नहीं. पशुपालन से रिलेटेड जानकारी के लिए हमारे व्हाट्सप्प ग्रुप्स कोई ज्वाइन कर लें और पशुपालन से रिलेटेड आपका कोई भी सबाल हो तो आप हमसे पूछ सकते हैं हमारी टीम आपकी जल्दी से जल्दी सबाल का जबाब देगी
एनिमल वैज्ञानिक के किंकर कुमार का कहना है कि पशुपालन में काफी अच्छा मुनाफा कमाने के लिए समय रहते गाय-भैंस का हीट में आना बहुत ही आबश्यक है. क्योंकि जब तक भैंस जब तक हीट में नहीं आएगी तो वो गाभिन नहीं होगी. एक्सपर्ट के अंतर्गत दो से ढाई साल की दूध ना देने वाली भैंस भी उतना ही खाती है जितना दूध देने वाली भैंस. इसलिए भैंस का समय से हीट में आना पशुपालक के हित में बेहद जरूरी होता है. किंकर कुमार ने बताया कि अगर वो ऐसा चाहते हैं कि उनके पशुओं में बांझपन की किसी भी प्रकार की समस्या न हो तो उन्हें सबसे पहला काम यह करना होगा कि वो बांझपन का इलाज कराने में बिलकुल भी देरी न करें.
बांझपन जितना पुराना होता जाता है तो उसके इलाज में उतनी ही परेशानी आती है . इसलिए ये काफी जरूरी है कि सही समय पर पशुओं की जांच कराएं. अगर भैंस दो से ढाई साल में हीट पर नहीं आती है तो अधिक से अधिक दो से तीन महीने ही इंतजार करें, अगर फिर भी हीट में नहीं आती है तो तुरंत अपने पशु की जांच कराएं. इसी तरह से गाय के साथ है. अगर गाय डेढ़ साल में हीट पर नहीं आती है तो उसे भी दो से तीन महीने इंतजार के बाद डॉक्टर से सलाह लें.
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उन्होंने कहा कि एक बार बच्चा देने के बाद मैं भी गाय-भैंस में बांझपन की शिकायत आती है. इसलिए अगर गाय-भैंस एक बार बच्चा देती है तो फिर से उसे गाभिन कराने में देरी बिलकुल भी न करें. आमतौर पर पहली ब्यात के बाद दो महीने का अंतर रखा जाता है. हालाँकि कुछ पशुपालक इस अंतर को अधिक बढ़ा देते हैं, लेकिन सलाह दी जाती है कि पशुपालक इस अंतर को ज्यादा ना रखें. अंतर जितना अधिक रखा जाएगा बांझपन की परेशानी बढ़ने की संभावना उतनी ही ज्यादा हो सकती है. इसलिए बांझपन को गंभीर बीमारी ना मानें, छोटी-छोटी बातों पर विशेष ध्यान देते हुए बांझपन की बीमारी को जड़ से खत्म किया जा सकता है.
नमस्ते, मैं हरभजन सिंह । मैं 3 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं । मुझे पशुपालन के विषय में विशेषज्ञता प्राप्त है। मैं आपको पशुपालन से जुड़ी ताजा खबरें बताऊंगा । मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको ‘काम की खबर’ दे सकूं । जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में कुछ बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप https://pashutalks.in/ के साथ जुड़े रहिए । धन्यवाद
1 thought on “अगर भैंस की उम्र दो से ढाई साल हो गई है और हीट में नहीं आ रही है तो जान लें ये तरीका !”