How To Feed Dairy Animals In Winter ठंड के मौसम में पशुपालकों को कुछ बातों का ध्यान रखने की जरूरत है। पशुओं को इस मौसम में अनेक परेशानियों से जूझना पड़ता है। दुधारू पशुओं को अतिरिक्त रख-रखाव और ध्यान की जरूरत होती है। उनके चारे का भी विशेष ख्याल रखना पड़ता है। ऐसा ना होने पर पशु मौसमी बीमारी का शिकार हो सकते हैं।
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जासं, नरकटियागंज (पश्चिम चंपारण)। कड़ाके की ठंड का असर मवेशियों पर भी दिखने लगा है। ऊपर से इस ठंड में अधिकांशत इन दिनों अधिक नमी युक्त हरा चारा (गन्ना का गेल्हा) प्राप्त हो रहा है, जिससे इस ठंड में पशुओं की हालत काफी बिगड़ रही है।
इसका असर दुधारू पशुओं पर अधिक पड़ रहा है। जबकि पशुपालकों के आधार पशुधन की सुरक्षा जरूरी है। पशुपालक लालबाबू यादव ने बताया कि इन दिनों गन्ना का गेल्हा ही पशुओं के लिए मुख्य रूप से उपलब्ध हो रहा है। दूसरे किसी चारे का समय नहीं है।
पशुपालकों की बेपरवाही हो सकती है नुकसानदेह Dairy Animals
कृषि विज्ञानी डॉ. आरपी सिंह ने बताया कि विशेष कर दुधारू पशुओं की ठंड से सुरक्षा में बेपरवाही पशुपालकों को काफी नुकसानदेह हो सकती है।
- उसको केवल हरा चारा ही भरपेट न खिलाएं बल्कि इसमें गेहूं की भूसी अथबा पुआल मिलाकर खिलाएं, क्योंकि हरे चारे में 90 प्रतिशत से अधिक पानी होता है।
- उन्होंने कहा कि हरा चारा ज्यादा मात्रा में खिलाने पर पशु के शरीर का तापमान कम हो जाता है। बताया कि पशुशाला से लेकर मवेशियों के रखरखाव की बेहद अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए। पशुपालकों को इसके लिए जागरूक रहना पड़ेगा। सर्द हवाओं के कारण वातावरण में ठंडक अधिक बढ़ती है।
- सूर्यास्त के बाद ठंड का असर भी पड़ रहा है। उन्होंने बताया कि गायों की तुलना में भैंस वंशीय पशुओं को जाड़े में अधिक परेशानी होती है।
- कोहरा एवं धुंध के कारण बाहरी वातावरण का तापमान कम हो जाता है, जिससे पशुओं को शरीरिक तापमान बनाए रखने के लिए अपने शरीर की काफी ऊर्जा खर्च करनी पड़ती है।
- लापरवाही होने पर पशु सर्दी, खांसी, जुकाम, न्यूमोनिया जैसी बीमारियों से ग्रसित हो सकते हैं। उन्होंने बताया कि गायों को धूप चढ़ने के बाद ऐसे स्थान पर बांधें, जहां ठंडी हवाएं सीधी न लगती हों। पशुशाला का फर्श सूखा रखें।
- यदि फर्श गीला हो तो गोबर इकट्ठा करने के बाद उसके मूत्र को सूखी राख डालकर सुखा लें। पशुशाला में पुआल की मोटी बिछावन करें। पशुशाला को पूरी तरह से बंद नहीं रखें। उसमें रोशनदान हो।
- अन्यथा उसमें अमोनिया की दुर्गंध पैदा हो जाएगी, जो पशुओं के लिए हानिकारक है। पशु को बाह्य परजीवी से बचाए रखने के लिए सप्ताह में कम से कम एक बार स्नान कराने की जरूरत है।
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एक नजर में समझें पशुपालक क्या करें और क्या नहीं?
- दुधारू पशुओं को केवल हरा चारा ही भरपेट न खिलाएं।
- हरे चारे में गेहूं की भूसी अथबा पुआल मिलाकर खिलाएं।
- पशुशाला से लेकर मवेशियों के रखरखाव की अच्छी व्यवस्था होनी चाहिए।
- ठंड लगने पर पशु सर्दी, खांसी, जुकाम, न्यूमोनिया जैसी बीमारियों से ग्रसित हो सकते हैं।
- गायों की तुलना में भैंस वंशीय पशुओं को जाड़े में अधिक परेशानी झेलनी पड़ती है।
- गायों को धूप चढ़ने के बाद इस तरह के स्थान पर बांधें, जहां ठंडी हवाएं बिलकुल सीधी न लगती हों।
- पशुशाला या पशु को बांधने की अन्य जगह पर फर्श को सूखा रहे, इसका ध्यान रखें।
- फर्श गीला हो तो गोबर इकट्ठा करने के बाद उसके मूत्र को सूखी राख डालकर सुखा लें।
- पशुशाला में पुआल की मोटी बिछावन कर दें। पशुशाला में रोशनदान होना जरूरी है।
- पशु को सप्ताह में कम से कम एक बार नहलाएं।
![harry](https://pashutalks.in/wp-content/litespeed/avatar/3c53c6de7be53fe21962225614bdc3a1.jpg?ver=1738321858)
नमस्ते, मैं हरभजन सिंह । मैं 3 साल से पत्रकारिता कर रहा हूं । मुझे पशुपालन के विषय में विशेषज्ञता प्राप्त है। मैं आपको पशुपालन से जुड़ी ताजा खबरें बताऊंगा । मेरा उद्देश्य यही है कि मैं आपको ‘काम की खबर’ दे सकूं । जिससे आप समय के साथ अपडेट रहे, और अपने जीवन में कुछ बेहतर कर सके। ताजा खबरों के लिए आप https://pashutalks.in/ के साथ जुड़े रहिए । धन्यवाद